Wednesday 13 May 2015

बुढ़ापा

महान है देश हमारा, इसे किसी ने नहीं नाकारा।
पर आज भी इस देश में लोग कुछ ऐसे हैं ,
नहीं सुधारना चाहते देश को
कलंकित करना चाहते हैं।
एक सच बताये तुम्हे , जिसका नाम बुढ़ापा है
औलाद का क्या भरोसा कल क्या वो बुज़ुर्गो का सहारा है
जिस देश में नत मस्तक झुक कर ,
करते प्रणाम सवेरे उठकर ।
उसी की मै बात सुनाता , क्या आज भी वही नज़ारा है।
उठा सवेरे पढ़ने बैठा परीक्षाओं की घडी थी ,
तभी न जाने पड़ोस के घर में क्या आफत आन पड़ी थी
मिलकर पति - पत्नी कोस रहे थे अपने बूढ़े माँ - बाप को ।
हमने जानने की कोशिश नहीं की , उस लड़ाई के अपवाद को ।
पर एक सच दुनिया का जाना ,
गलती करे औलाद तो माफ़ी उसको मिलती है
और गलती करे माँ बाप तो गाली उनको मिलती है।

                                                   (तरुण त्यागी)