हम सफर पर निकल चुके हैं
इस अंधियारे वर्ष से निकलकर ,
जिसकी कुशलता और
सुखद भविष्य की कामना करता
सूर्य का प्रकाश बादलों से निकलकर
खोया भी बहुत कुछ हमने पाया भी बहुत है
कभी खुशियों का प्याला पिया तो
कभी दुःख का बोझ भी उठाया है
समेटकर उन यादों को अब हम
प्रण ले ये सब मिलकर
खुद को सशक्त करे और
देश का उद्धार करे हम
मुक्त करें हम भारत माँ को
बदनामी की जंजीरों से
शोषण न हो महिलाओं का
ऐसा मिलकर हम प्रण करें
रोज भूख से लाखों जानें
जाती है गलियारों पर ,
समृद्ध बने हम इतने की
भूख का न किसी का शिकार करे |
हम सफर पर निकल चुके हैं
इस अंधियारे वर्ष से निकलकर
जिसकी कुशलता और
सुखद भविष्य की कामना करता
सूर्य का प्रकाश बादलों से निकलकर ।
धन्यवाद |
तरुण त्यागी