Monday 30 March 2020

क्यों नही सीखते इतिहास से

क्यों नही सीखते इतिहास से , सिया राम लखन वनवास से
मारीच को रावण ने बुलवाया, जगदम्बा को हरने का बताया
ले आज्ञा महाराज की , युक्ति बनाई सिया को हरषाने की
मारीच ने फिर माया रची , स्वर्ण मृग बन वन में गति करी
देख उसे सिया मन हर्षाया , फौरन प्रभु को पीछे दौड़ाया
लक्ष्मण समझ रहे थे माया , कहा उन्होंने रुको ओ भ्राता
प्रभु भी कुछ भी समझ न पाए , मृग के पीछे वन में आये
प्रभु ने ज्यों ही तीर चलाया , मारीच ने फिर लक्ष्मण चिल्लाया
सुनके सिया का मन घबराया , लक्ष्मण को आदेश थमाया
उठाके अपना तीर कमान , तुरन्त करो वन को प्रस्थान
लक्ष्मण ने फिर तीर लिया , मन को तनिक गम्भीर किया
माता की रक्षा की खातिर , लक्ष्मण ने रेखा खींच दिया
कुछ भी हो बस सब्र रखियेगा , कुटीर से बाहर न पग रखिएगा
माता ने रेखा पार किया , फिर जो भी हुआ इतिहास हुआ
मैं आज तुम्हे बतलाता हूं , इतिहास याद दिलाता हूं
घर में चाहे जो भी करना , दहलीज़ के बाहर न कदम धरना
जब जब वक्त बुरा आया है , कहा अधिक ठहर वह पाया है
मैं फिर से वही दोहराता हूँ , इतिहास को याद कराता हूँ
क्यों नही सीखते इतिहास से , सिया राम लखन वनवास से।।

Sunday 22 March 2020

माँ का आँचल

कैसी अजब है ये बात कि संताने समझने लगती हैं ,
बुजुर्गो को खुद पर बोझ।
एक  बात समझलो ऐ नादानों,
इस जीवन में हो तुम उनके आलोक।
बुलंदियों को छूने की चाह मन में आई थी,
साथ दिया उस माता ने जो आज तुझे न
भाई थी।
जब काल तेरा आएगा ,
न रोएगी दुनिया तुझ पर।
वही माँ फिर भी तुझे,
अपने आँचल में सुलयेगी।।

                                   
धन्यवाद  (तरुण त्यागी)