Wednesday 29 July 2015

क्रोध एक दैत्य


कहा किसी ने सत्य है
क्रोध एक दैत्य है

पर वश नही रह पाता इसपर
यह भी तो नही असत्य है

कहे प्यार से तुमको कोई
उसकी बात पर ध्यान लगाओ
और अकड़ स बोलेे कोई
तो चुप्पी साधो मन्त्र अपनाओ

दबालो उस विष को ह्रदय में
जिस तरह रोका है महादेव ने कण्ठ में

बाहर आयेगे तो अपवाद करेगा
आपका समय बर्बाद करेगा

एक बात पर ध्यान लगाओ
क्रोध को न कभी यार बनाओ ।
   
                                                (तरुण त्यागी)

Tuesday 14 July 2015

स्वप्न

खोया हुआ वो पल अब न आएगा कभी,
जा चूका है छोड़कर जो , मुझे तन्हा इस कदर ।
चाहूँ मै अब चाहे जितना भी ऐ मेरी तकदीर,
तुझसे न लड़ पाउँगा मै कभी।

है ख्वाइश दिल की बस इतनी अब तो,
वो यादें वो बातें न भूल पाऊं मै कभी।

चल रहा है द्वन्द भीतर , एक चिंगारी भडक रही।
जल न जाये आग बनकर अब चेतना मेरी ।
स्वर निकले कण्ठ से जो , सुर उदासी से था भरा।
लग रहा है आज ऐसा पुकार रहा कोई अधमरा।
आँख खुली सहसा मेरी तो,
एहसास मुझको यह हुआ।
देख रहा था स्वप्न कोई आज मै बहुत बुरा।

                                         (तरुण  त्यागी)..