Thursday 31 December 2015

नया साल नया सफर

                                                
                                                   
  

हम सफर पर निकल चुके हैं
 इस अंधियारे वर्ष से निकलकर ,
जिसकी कुशलता और
सुखद भविष्य की कामना करता
सूर्य का प्रकाश बादलों से निकलकर

खोया भी बहुत कुछ हमने पाया भी बहुत है
कभी खुशियों का प्याला पिया तो
कभी दुःख का बोझ भी उठाया है
समेटकर उन यादों को अब हम
प्रण ले ये सब मिलकर
खुद को सशक्त करे और
देश का उद्धार करे हम

मुक्त करें हम भारत माँ को
 बदनामी की जंजीरों से
शोषण न हो महिलाओं का
 ऐसा मिलकर हम प्रण करें
रोज भूख से लाखों जानें
 जाती है गलियारों पर ,
समृद्ध बने हम इतने की
भूख का न किसी का शिकार करे |

हम सफर पर निकल चुके हैं
 इस अंधियारे वर्ष से निकलकर
जिसकी कुशलता और
 सुखद भविष्य की कामना करता
सूर्य का प्रकाश बादलों से निकलकर ।
                                                        धन्यवाद  |
                                                      तरुण त्यागी

Tuesday 25 August 2015

हार नही है सीख है ये

हार नहीं है सीख है ये
छूट नहीं जंजीर है ये
लगा लगन हो मगन
क्योंकि घाव नही
पर पीर है ये।

इस दर्द को समेटकर
चैलेजा तू इसकदर
भले कठिन हो डगर
तू रुके बस छु शिखर ।

उजाला हो या अन्धकार
दर्द भले ही हो अपार
तू तो बीएस भर हुंकार
जीत का ही कर विचार ।

हार नही है सीख है ये
छूट नहीं जंजीर है ये।

Wednesday 29 July 2015

क्रोध एक दैत्य


कहा किसी ने सत्य है
क्रोध एक दैत्य है

पर वश नही रह पाता इसपर
यह भी तो नही असत्य है

कहे प्यार से तुमको कोई
उसकी बात पर ध्यान लगाओ
और अकड़ स बोलेे कोई
तो चुप्पी साधो मन्त्र अपनाओ

दबालो उस विष को ह्रदय में
जिस तरह रोका है महादेव ने कण्ठ में

बाहर आयेगे तो अपवाद करेगा
आपका समय बर्बाद करेगा

एक बात पर ध्यान लगाओ
क्रोध को न कभी यार बनाओ ।
   
                                                (तरुण त्यागी)

Tuesday 14 July 2015

स्वप्न

खोया हुआ वो पल अब न आएगा कभी,
जा चूका है छोड़कर जो , मुझे तन्हा इस कदर ।
चाहूँ मै अब चाहे जितना भी ऐ मेरी तकदीर,
तुझसे न लड़ पाउँगा मै कभी।

है ख्वाइश दिल की बस इतनी अब तो,
वो यादें वो बातें न भूल पाऊं मै कभी।

चल रहा है द्वन्द भीतर , एक चिंगारी भडक रही।
जल न जाये आग बनकर अब चेतना मेरी ।
स्वर निकले कण्ठ से जो , सुर उदासी से था भरा।
लग रहा है आज ऐसा पुकार रहा कोई अधमरा।
आँख खुली सहसा मेरी तो,
एहसास मुझको यह हुआ।
देख रहा था स्वप्न कोई आज मै बहुत बुरा।

                                         (तरुण  त्यागी)..

Thursday 25 June 2015

मेरा भारत महान ।

कहता हूँ मै आज कि मेरा भारत बहुत महान है।
मेरे दिल के सबसे करीब मेरा हिंदुस्तान है ।
स्वप्न मेरा भी बनना देश का काबिल एक जवान है ।
जिस धरती पर जन्म लिया सौ बार उसे प्रणाम है ।
स्वप्न अगर पूरा हुआ तो ये एक देशभक्त की जबान है ,
काट दूँगा हर वो सर  जो माँ तेरे लिए अभिशाप है ।

कहता हूँ मै आज कि मेरा भारत बहुत महान है ।
मेरे दिल के सबसे करीब मेरा हिंदुस्तान है ।
जिस  तरह हरियाली तेरी माँ , इस तिरंगे की शान है ।
उसी तरह अशोक महान का चक्र भी हमारे लिए वरदान है।

विष्णुगुप्त का अखंड भारत आज लहू लुहान है ,
एक हिंदुस्तान है और दूजा पाकिस्तान है ।
कहता हूँ मै आज कि मेरा भारत बहुत महान है ।
मेरे दिल के सबसे करीब मेरा हिंदुस्तान है

                                             (तरुण त्यागी)..

Wednesday 13 May 2015

बुढ़ापा

महान है देश हमारा, इसे किसी ने नहीं नाकारा।
पर आज भी इस देश में लोग कुछ ऐसे हैं ,
नहीं सुधारना चाहते देश को
कलंकित करना चाहते हैं।
एक सच बताये तुम्हे , जिसका नाम बुढ़ापा है
औलाद का क्या भरोसा कल क्या वो बुज़ुर्गो का सहारा है
जिस देश में नत मस्तक झुक कर ,
करते प्रणाम सवेरे उठकर ।
उसी की मै बात सुनाता , क्या आज भी वही नज़ारा है।
उठा सवेरे पढ़ने बैठा परीक्षाओं की घडी थी ,
तभी न जाने पड़ोस के घर में क्या आफत आन पड़ी थी
मिलकर पति - पत्नी कोस रहे थे अपने बूढ़े माँ - बाप को ।
हमने जानने की कोशिश नहीं की , उस लड़ाई के अपवाद को ।
पर एक सच दुनिया का जाना ,
गलती करे औलाद तो माफ़ी उसको मिलती है
और गलती करे माँ बाप तो गाली उनको मिलती है।

                                                   (तरुण त्यागी)