Friday 14 August 2020

जश्न - ए - आज़ादी

सभी को स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं , जैसा की आप सभी जानते हैं कि आज हम अपना 74 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं , और यह हमारे लिए गौरवान्वित महसूस करने वाला पल है । इतिहास से सभी परिचित हैं कि किन किन परिस्तिथियों से गुजर कर हम इस मुकाम पर पहुंचे हैं और कितने बलिदानों के बाद हमे यह आज़ादी मिली । आज इस 74 वे स्वतंत्रता दिवस पर आपके समक्ष अपनी नवीनतम रचना प्रस्तुत करने जा रहा हूँ , अनुमति दीजिये

मिली नहीं आज़ादी यूँही 
है प्राण गंवाए लाखों ने 
कुछ ने झेली गोली फांसी
कुछ ने प्राण गंवाए जेलों में 

भड़क उठी थी जो 57 में
और ज्वलन्त रही 47 तक
उस चिंगारी को मशाल बनाकर
फिर बुझने न दिया था सालों तक

वीरों ने अपने रक्त धार से
फिर क्रांति का आह्वान किया
जो कुछ भी था घट में उनके
सब रक्त वेग में बहा दिया

जोश-ऐ-जुनून फिर उन्होंने
अपनी नस नस में बसा लिया
लिख इंकलाब सीने पर फिर
डट अंग्रेजों से लौहा लिया

फौलाद किया अपने तन को
और पत्थर सा जिगरा किया
मिलती ही रही यातनाएं नित ही
फिर भी इंकलाब का ही नारा दिया

मिली नहीं आज़ादी यूँही
हैं प्राण गंवाए लाखों ने
कुछ ने झेली गोली फांसी
कुछ ने प्राण गंवाए जेलों में

है गर्व मुझे उन वीरों पर
जिसने खुद को आहूत किया
क्रांति की वेदी में प्राण देकर
फिर भारत को आज़ाद किया।।

जय हिंद
वन्देमातरम
इंकलाब जिंदाबाद
भारत माता की जय