खोया हुआ वो पल अब न आएगा कभी,
जा चूका है छोड़कर जो , मुझे तन्हा इस कदर ।
चाहूँ मै अब चाहे जितना भी ऐ मेरी तकदीर,
तुझसे न लड़ पाउँगा मै कभी।
है ख्वाइश दिल की बस इतनी अब तो,
वो यादें वो बातें न भूल पाऊं मै कभी।
चल रहा है द्वन्द भीतर , एक चिंगारी भडक रही।
जल न जाये आग बनकर अब चेतना मेरी ।
स्वर निकले कण्ठ से जो , सुर उदासी से था भरा।
लग रहा है आज ऐसा पुकार रहा कोई अधमरा।
आँख खुली सहसा मेरी तो,
एहसास मुझको यह हुआ।
देख रहा था स्वप्न कोई आज मै बहुत बुरा।
(तरुण त्यागी)..
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