Saturday 4 July 2020

संघर्ष वीर

हर बात में आंसू बहाये फिरते हो
क्यों नहीं मुसीबतों से डटकर लड़ते हो
क्या सोच रहे कि कौन आएगा मदद को
क्यों नहीं करते हो तुम सुद्रढ़ स्वयं को

है वीर वही जो हर बाधा से लड़ जाए
संघर्ष करे और बाधाओं से तर जाए
ये धरा भी स्वयं उनकी कायल है
जो लड़ते हैं भले हुए घायल हैं

अरे उठो वीर तुम अब खुद को पहचानो
हर विकट परिस्तिथि से लड़ने की ठानो
एक बार तुम कठोर करो तो मन को
और करो फौलाद तुम स्वयं के तन को

जो ठान लिया की तुझे पार है जाना 
फिर रोक नहीं पाएगा तुझे ज़माना
कर अथक प्रयास भले हो ही विफल तू
एक दिन तो हो ही जाएगा सफल तू

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