Monday 15 June 2020

"न रख बैर जीवन से प्राणी"

न रख बैर जीवन से प्राणी 
ब्रह्मा ने बड़ी उम्मीदों से बनाया है
माँ की 9 माह की पीड़ा से तू जन्मा
और पिता ने तुझपे अपना सब कुछ लुटाया है
आत्म चिंतन आत्म मंथन हैं जीने के साधन
आत्मदाह से कब किसने उपचार पाया है
जो मेहनत से सफलताओं का शिखर बनाया था
उन सफलताओं पर भी आज प्रश्न चिह्न लगाया है
शोक जताता है ये संसार जो भी वो सब दिखावा है
पर पीर उन माँ बाप की कब कौन समझ पाया है
न रख बैर जीवन से प्राणी 
माँ ने तुझपे अपना जीवन लुटाया है
वो न सह सकेगी जो जानेगी सत्य
तुझसे अधिक कब उसको संसार भाया है

तरुण त्यागी

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