Saturday 10 April 2021

बीजापुर घटना

फिर मातम की काली रातों का दौर घिरा सा लगता है
फिर माताओं की ममता का आँचल सूना सा लगता है
जंगल मे पशुओं ने फिरसे आतंक मचाया लगता है
पूण: देश में जयचन्दों ने जन्म लिया है लगता है

कब तक आखिर कब तक तुम यूँ हाथ बांध कर बैठोगे
सिंहासन पर कब तक आखिर मौन साध कर बैठोगे
कब तक आखिर इन आदमखोरों का उपचार नहीं होगा
नक्सलवादी सोच पर आखिर कब तक वार नहीं होगा

मैं अपने कड़वे शब्दों में शोर मचाकर पूछूँगा
जितना मुझमें बाकी है सब जोर लगाकर पूछूँगा
सिंहासन की आंखों में मैं आँख डालकर पूछूँगा
पक्ष विपक्ष के नेताओं से भरी सभा में पूछूँगा

कब तक आखिर इन आदमखोरों का नाश नहीं होगा
कब तक बीहड़ चम्बल में कोई विकास नहीं होगा
कब तक मेरे सैनिक भाई यूँ अपनी जान गंवाएंगे
कब तक आखिर रोज़ तिरंगे में लिपटे ये आएंगे

बीजापुर की घटना से मैं अब तक गुस्साया हूँ
सोई कलम को बड़े दिवस के बाद आज उठाया हूँ
वंशज हो तुम पृथ्वीराज के मैं याद तुम्हें करवाता हूँ
और अंत में जयचंदों को उनकी औकात बताता हूँ

भाग्य तुम्हारा साथ नहीं देगा जब बादल घिर आएंगे
बारिश में भी फौजी शेर तुम्हें इन्हीं जंगल में दौड़ाएंगे
काल तुम्हें सम्मुख दिखेगा जब वीर गरजकर आएंगे
प्राण हलक से सूख चलेंगे जब वे हथियार उठाएंगे

No comments:

Post a Comment