Saturday 16 May 2020

टिक टॉक के बीमार

कोई सोलह वर्ष की आयु में कुछ सपने सजाये बैठे हैं
फौजी बनकर सरहद पर जाने की आस लगाये बैठे हैं
जी तोड़ कोशिश महनत करके वे लोहे से तैयार हैं
वहीं एक और कुछ नौजवान  टिक टॉक से बीमार हैं

कोरोना से तो लड़ ही लेंगे इसमें कोई भेद नहीं
पर नस्लों को डूबे देखूं तो कैसे कहदूँ मुझे खेद नहीं
खेद भी है और डर भी भीतर के अब भी जो ये ना जागे
तो इनका भविष्य बनाने को क्यों कोई इनके पीछे भागे

जन नायक कहते हैं हमको आत्मनिर्भर बनना होगा
पर मैं  कहता हूं पहले राष्ट्र को समझदार बनना होगा
कोई आकर सही गलत का भेद हमें क्यों बतलाये
क्यों न स्वयं नव पीढ़ी भारत को उचित मार्ग पर ले जाये

कला और कौशल दोनो का मैं भी करता सम्मान हूँ
पर टिक टॉक वाली कौम से मैं थोड़ा हैरान हूँ
है लग्न तुममे गाने की या अभिनय का है कौशल
तो टिक टॉक से बाहर आकर करो अपना उद्देश्य सफल

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