फौजी बनकर सरहद पर जाने की आस लगाये बैठे हैं
जी तोड़ कोशिश महनत करके वे लोहे से तैयार हैं
वहीं एक और कुछ नौजवान टिक टॉक से बीमार हैं
कोरोना से तो लड़ ही लेंगे इसमें कोई भेद नहीं
पर नस्लों को डूबे देखूं तो कैसे कहदूँ मुझे खेद नहीं
खेद भी है और डर भी भीतर के अब भी जो ये ना जागे
तो इनका भविष्य बनाने को क्यों कोई इनके पीछे भागे
जन नायक कहते हैं हमको आत्मनिर्भर बनना होगा
पर मैं कहता हूं पहले राष्ट्र को समझदार बनना होगा
कोई आकर सही गलत का भेद हमें क्यों बतलाये
क्यों न स्वयं नव पीढ़ी भारत को उचित मार्ग पर ले जाये
कला और कौशल दोनो का मैं भी करता सम्मान हूँ
पर टिक टॉक वाली कौम से मैं थोड़ा हैरान हूँ
है लग्न तुममे गाने की या अभिनय का है कौशल
तो टिक टॉक से बाहर आकर करो अपना उद्देश्य सफल
Outstanding one
ReplyDelete👌✌
ReplyDeleteSuperb Tarun Keep it up...
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