Friday 29 May 2020

मायूस चेहरे

सभी मायूस हैं और सभी व्यथित से चेहरे हैं
मानो आज सबके ऊपर यमदूतों के पहरे हैं
अभी तक हमने किये आघात थे पंचभूतों पर
पर अनभिज्ञ थे कि प्रकृति के प्रतिकार गहरे हैं

अभी भी मानलो सत्य करो बदलाव जीने का
सँजोलो प्रकृति के घटकों को करो संचार जीवन का
जो न सम्भले अब भी इन सब से सीखकर कोई
तो भले खोजलो मंगल ही मिलेगा अंश मात्र जीवन का

कहीं वन में अनल है और कहीं भूचाल है जल में
मिटादि कितनी ही सम्पदा बस एक ही पल में
एक महामारी से तो हम अभी तक लड़ नहीं पाए
नई हो रही समस्याएं खड़ी हर क्षण हर पल में


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