Monday 4 May 2020

धनी और दानी

कौन कहता है कि जग में धन से बड़ा कुछ भी नहीं
मौज में रहें अमीर सदा ही ये भी तो मुमकिन नहीं
धन नहीं है पास जिनके है घमण्ड उनमें नहीं
अहम का एक मात्र कारण अब कहीं धन तो नहीं

और है अगर धन भी भरा हो कहीं तेरे भंडार में
रहना तू हर दम हमेशा ही निर्धनों के उद्धार में
मिलती नहीं वसिहतों में सदा दौलतें भंडार में
वसीहत में मिलते हैं कभी संस्कार भी संसार में

धन के सत्ता के मद में हों जो उनका क्या उपचार हो
नहीं दिखा पाते अधिक समय तक शान वें संसार को
हो सरल जो और निश्छल और हो दानी बड़ा
यद्यपि ही ईश्वर भी सदा संग ही उनके खड़ा

हो अगर सक्षम तुम इतने और हो धनवान भी
दो तो भूखों को रोटी और रोतों को मुस्कान भी
शान से तुम भी खिलोगे महकोगे हर शाम ही
और इसी व्यक्तित्व को सराहेगा हिंदुस्तान भी

1 comment:

  1. BROTHER ..I HAVEN'T SEEN A PATRIOTIC PERSON LIKE YOU..YOU ALWAYS HAVE AN OPINION WHEN IT COMES TO OUR MOTHER ....INDIA
    JAI BHARAT...

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